युवा शक्ति और विकास: भाग-2 उद्यमिता व अभिसरण! उद्यमिता एवं रोज़गार: देश की तेजी से बढ़ रही जनसंख्या में युवाओं का सतत रोजगार एक बहुत बड़ी चुनौती है! युवाओं के संदर्भ में बढती बेरोज़गारी एक बहुत ही अहम विषय बन चुका है! युवाओं में बढ़ती हुई बेरोजगारी की समस्या कहीं न कहीं उनको आर्थिक-मानसिक उत्पीडन के साथ-साथ सामाजिक कुरीतियों के दलदल में धकेल रही है!
आज के इस दौर में जरूरत है कि युवाओं को नौकरी की बजाए उद्यमिता हेतु सशक्त बनाया जाए, जिससे हमारे समाज के अन्य पिछड़े वर्ग को भी रोजगार प्रदान किया जा सके! जैव प्रौद्योगिकी, नवीन उर्जा, कृषि, बागवानी, मूल्य-संवर्धन, पर्यावरणीय पर्यटन और साहसिक पर्यटन जैसे क्षेत्रों में अपार संभावनाएं हैं और युवाओं के सामाजिक आर्थिक उत्थान में अति सहायक हो सकती हैं!
लेख-श्रंखला: भाग-1
युवा शक्ति और विकास: भाग-2 उद्यमिता व अभिसरण!
सरकारी योजनाएँ एवं अभिसरण:
दूसरी महत्वपूर्ण बात यह करना चाहूंगा कि केंद्र और राज्य सरकार के विभागों और मंत्रालयों ने युवाओं के उत्थान के लिए बहुत सी योजनाएं और कार्यक्रम चलाए हुए हैं, जैसे कि नेशनल यंग लीडर प्रोग्राम, नेहरू युवा केंद्र संगठन, नेशनल सर्विस स्कीम, राजीव गांधी युवा विकास राष्ट्रीय संस्थान, युवा और किशोर विकास हेतु राष्ट्रीय कार्यक्रम, दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन, प्रधानमंत्री रोजगार निर्माण, प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना, उड़ान, उद्यमिता और कौशल विकास कार्यक्रम आदि मुख्य हैं!
युवा शक्ति और विकास: भाग-2 उद्यमिता व अभिसरण!
परंतु इतनी सारी योजनाओं और कार्यक्रमों के होने के बावजूद भी युवाओं में इनकी सुगमता एक ऐसा पहलू है जिसमें नीतिय व जमीनी स्तर पर बहुत प्रभावी कार्य करने की आवश्यकता है!
यूं तो सरकार और प्रशासन अपने स्तर पर उपरोक्त कार्यक्रमों और योजनाओं को आम जन-मानस तक पहुंचाने का प्रयास करती रही हैं, परंतु मेरा अपना यह मानना है कि अधिक से अधिक युवाओं को इन कार्यक्रमों से सुगमतापूर्वक जोड़ने व लाभांवित करने हेतु सामाजिक संगठनों व शिक्षक वर्ग की भूमिका अति महत्वपूर्ण रहेेेगी!
युवा शक्ति और विकास: भाग-2 उद्यमिता व अभिसरण!
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